अंग्रेजी के ब्लागर,बड़का बिलागर, विषय चुकने का आभास..........चिट्ठाचर्चा डॉट कॉम
ब्लागिंग में हलचल मची रही, अपनी टी आर पी बढाने के लिए चीर हरण हो रहा था, जब मनुष्य चूक जाता है तो वह कुछ अवांछनीय हरकतें करता है, जिसके परिणाम लोगों को भोगना पड़ता है। आज चिट्ठा चर्चा पर दो चार लोगन के चिट्ठा बांचते हैं।
ढपोरशंख का कहना है कि ज्ञानदत्त पांडे की घिनौनी और ओछी हरकत है, आज का दिन बहुत ही मनहूस है. मुझे नही लगता कि हिंदी ब्लागिंग के लिये इससे काला दिन भी कोई हो सकता है. आज ज्ञानदत्त पांडे ने एक ऐसी पोस्ट लगाई है जिसने उसकी असली मानसिकता को उजागर कर दिया है. पोस्ट का नाम है कौन बेहतर ब्लॉगर है शुक्ल या लाल वो ही ज्ञानदत्त पांडे हैं जिनकी पोस्ट पर गंगा के कचरे की फ़ोटो या कुछ भी ठेले रिक्शे, या कोई मुंगफ़ली बेचते हुये को देखकर मूंगफ़ली बेचने का धंधा शुरु करने के आईडिये आते हैं या कुत्ते के पिल्लूरों की फ़ोटॊ खींच कर पोस्ट निकालते आये हैं. .................
उत्सुकता वश पोस्ट पर पहुंचे तो उपरोक्त कुल जमा आठ लाइने और एक चित्र हैं. यानि कि पोस्ट निकालने की विधी दिखती है. पर यहां विधि कम बल्कि समीरलाल को बेइज्जत करने की कोशीश ज्यादा है और अनूप शुक्ल को महिमा मंडित करने के लिये लगाई गई पोस्ट साफ़ लगती है. उपरोक्त तीन लाईनों मे समीरलाल का कचरा करके रख दिया है. और कचरा भी उस आदमी ने किया जिसको उपर की तीन लाईनों को भी शुद्ध हिंदी में लिखना नही आता. अपने अंग्रेजियत दिखाते हुये उसमे भी जबरदस्ती अंगरेजी के शब्द घुसेड डाले. ये साफ़ साफ़ जलन की भावना को दर्शाती लाईनें हैं. असलियत यह है कि आज समीरलाल के कद के सामने इनको खुद का वजूद नजर नही आता.
आगे बढ़ते हैं तो एक जगह कुछ ऐसा नजारा था...जैसे सुनील दत्त एवं संजय दत्त में शुटिंग हो रही लेकिन पोस्ट का शीर्षक ज्ञानदत्त और संजयदत्त था, इस पर राजकुमार सोनी जी ने शब्दों की गरिमा बनाए रखते हुए लिखा है कि
ज्ञानदत्त अंग्रेजी के ब्लागर है।
अंग्रेजी के ब्लागर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि हिन्दी में अंग्रेजी के शब्दों को बड़ी बेशर्मी से ठूंसने का जो काम ज्ञानदत्त करते हैं उतनी बेशर्मी से कोई और दूसरा शायद नहीं कर सकता है। उनकी तुलना मैं संजय दत्त से भी इसलिए कर रहा हूं क्योंकि काफी समय पहले संजय दत्त की मानसिक हलचल भी ठीक नहीं थी। यदि हलचल ठीक ही होती तो संजय दत्त को तीन-चार शादियां नहीं करनी पड़ती।
आत्ममुग्धता की स्थिति ने कई लोगों को पागल कर रखा है। दूसरों को संस्था और भी न जाने क्या-क्या बताने वाले श्रीमान एक हजार आठ सौ चालीस ज्ञानदत्त जी आईएसओ बन बैठे हैं।यदि आप लिखते हैं तो आपको लिखने से पहले गंगा किनारे लोटा लेकर टहलने वाले ज्ञानदत्त से प्रमाण पत्र लेना ही होगा। ज्ञानदत्त ही बताएंगे कि किसकी पोस्ट का विचार अच्छा है और किसकी पोस्ट से विचार गायब है। भाइयों चाहता तो मैं भी ज्ञानदत्त की तरह कन्टेंट शब्द का प्रयोग कर सकता था लेकिन हिन्दी की सेवा में लगे हैं सो अपराध कम से कम हो यही कोशिश रहती है
मीनाबाजार में जाकर गाल पर हाथ रखते हुए फोटो खिंचाने वाले भइये ज्ञानदत्तजी। ऐसी फोटो लगाकर आप समझते होंगे कि आप बहुत बौद्धिक है, मैं मानता हूं कि जो आदमी फोटो में भी अपने आपको नहीं बदल पाया वह दुनिया को क्या खाक बदलेगा। श्रीमानजी हिन्दी ब्लागिंग को नामवर की नहीं समझदार लोगों की जरूरत ज्यादा है। आज आप दो लोगों के लिए प्रमाण पत्र बांट रहे हैं कल आप किसी के ब्लाग का नाम देखकर कह सकते हैं अपने ब्लाग का नाम तुरन्त बदल दीजिए क्योंकि यह वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं है। परसो आपकी टिप्पणी किसी के कपड़े को लेकर भी आ सकती है और गदहे लोगों ने आपको स्वीकार करना चालू कर दिया तो फिर आप ब्लागरों को ई-मेल के जरिए भभूत भी भेजने लगेंगे।
कुरुक्षेत्र का मैदान से घटोत्कच्छ भी गए, कुद पड़े बाजा गाजा के साथ- बड़का बिलागर कौउन-कौनो जानत हो?एक बुढव साहब है रिटायर मेंट के नजीक मा, ऊ तो बहुत ही पगला गया हैं। बहुतै दिमाग चाटै लागे तो हम भी आज छुट्टी ले लिए तनि पीछा तो छुटै, अबहिं बिलाग पढत जात रहे , देखे का हिंया तो बड़का हलचल मचा है। खदबदाहट तो बहुतै दिन से था। अबहिं मामला कुछ खुल गया। दद्दा जी पूछन लागे कि बड़का बिलागर कौन? हमने भी उनका पुछा कि ईंहा बड़का बिलागर कौन नाही है? सबे तो बड़का बिलागर हैं। पर उड़नतश्तरी के एतना बड़का बिलागर कोऊ नाही। ई तो पूरा बिलाग जगत जानत है।एतना एवन हिन्दी लिखत हैं कि हमार डिकशनरी मा शब्द नाही मिलत। पाणिनी फ़ैल खा गए, एतना बढिया लि्खत-लिखत एतना घटि्या कैसे लिखन लागे? हम तो सोचिया सोचिया के पगलिया गए हैं। दीमाग मा इन्फ़ैक्शन होई गवा, अब का करी? उमर का भी तो असर हो्त है । एक दिमाग से केतना काम लिजिएगा, तनि जोर जियादा पड़ जाता है। दिमाग से तनिक कम काम लिजिए अऊर अच्छा बिलागिंग किजिए। ई नापने-नुपने का काम छोर दिजिए कौन बड़का, कौन छोटका। सबै बिलागर बड़का हैं छोटका कोऊ नाही। सबै जानत हैं।जय गंगा मैया के................
गिरीश बिल्लौरे जी ने चर्चाया है ज्ञान दत्त जी का पोस्ट ... विषय चुकने का आभास दे गई
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